जीरादेई में मिल रहा प्राचीन पुरातात्विक साक्ष्य
सिवान।प्रखंडक्षेत्रकेमुइयांगांवकेचंवरमेंइंडियनऑयलकेपाइपबिछानेकेलिएखुदाईकेक्रममेंप्राचीनपुरातात्विकसाक्ष्यमिलरहेहैं।इसेदेखनेकेलिएलोगोंमेंउत्सुकताबढ़रही।कुछविद्यार्थीइसेचुनकरअध्ययनकरनेकेलिएरखरहेहैं।यहस्थानमुइयांगढ़सेउत्तरमात्र100मीटरकीदूरीपरहै।लगभग500मीटरकीरेंजमेंखुदाईसेमृदभांडमिलरहाहै,हालांकिखुदाईमात्र6फीटगहराएवं3फिटचौड़ाहोरहाहै
केवलपाइपबिछानेकेलिए।वहींपुरातात्विकस्थलोंपरशोधकररहेशोधार्थीकृष्णकुमार¨सहनेबतायाकिजीरादेईकापश्चिमीक्षेत्रपुरातात्विकसाक्ष्योंसेभरापड़ाहै,आवश्यकताहैकेवलउत्खननकरसामनेलानेकी।उन्होंनेबतायाकिगतमाहभारतीयपुरातत्वसर्वेक्षणनेइसीस्थानसेमात्रतीनकिलोमीटरउत्तरपरीक्षणउत्खननमेंमहत्वपूर्णपुरातात्विकसाक्ष्यप्राप्तकिया,यहांप्राप्तहोरहेमृदभांडकेप्राचीनताकेबारेमेंकेपीजायसवाल
शोधसंस्थानकेपूर्वनिदेशकडॉ.जगदीश्वरपांडेयएवंपुरातत्वविदडॉ.नीरजपांडेयनेबतायाकिइसेएनबीपीकहतेहैंजोकालेरंगकापतलाएवंहल्काहोताहै।उसकाकाल600से200इशापूर्वतकमानाजाताहै।बौद्धकालमेंभीइसकाबहुतप्रचलनथातथासमाजकेधनीउवसंभ्रांतव्यक्तिइसमृदभांडमेंभोजनकरतेथे।
पुरातत्वविदोंनेबतायाकियहांलालएवंभूरामृदभांडभीदिखाईदेरहाहैतथाबालूकामिलरहारेतप्राचीनसमयमेंकिसीनदीकाहोनेकासंकेतहैतथापुरातात्विकसाक्ष्योंकेआधारपरकहाजासकताहैकिप्राचीनसमयमेंयहक्षेत्रविकसितशहरथा।इसपुरातात्विकक्षेत्रकोसंरक्षितकरनेकेलिएसरकारएवंजनप्रतिनिधियोंकोआगेआनाचाहिएताकिभावीपीढ़ीअपनीइतिहासकोजानएवंसमझसके।ग्रामीणकमल¨सह,अंकितमिश्रा
केअनुसारपूर्वमेंभीइसकेआसपासपुरातात्विकमहत्वकेअनेकोंसाक्ष्यमिलचुकेहैं।