प्राचीन भारत में प्रकृति पर हुए कई रिसर्च
दरभंगा।प्राचीनभारतमेंप्रकृतिपररिसर्चकरअनेकवैज्ञानिकअविष्कारकिएगए।मॉडर्नसाइंसकीउम्रतीन-चारसौवर्षोकीहै।लेकिन,इससेपूर्वभीविज्ञानथा।भारतइसकाकेंद्ररहाहै।भवन-निर्माण,धातु-विज्ञान,वस्त्र-निर्माणकेसाथ-साथज्योतिष,रसायन,खगोल,चिकित्साआदिकेक्षेत्रोंमेंप्राचीनभारतअग्रणीथा।अंग्रेजोंनेअपनावर्चस्वसाबितकरनेमेंहमारेविज्ञानकोध्वस्तकरदिया।आइंस्टीन,लीनबर्नआदिवैज्ञानिकोंकेकार्योकोदेखेंतोसाफप्रतीतहोताहैकिउन्होंनेप्राचीनभारतीयज्ञानसेप्रेरणालीहै।ब्रह्मांडकीवास्तविकताकाज्ञानभारतमेंप्राचीनकालसेहीस्थापितरहाहै।आधुनिकविज्ञानभीइसेस्वीकारताहै।उक्तबातेंदिल्लीविश्वविद्यालयकेपूर्वप्राचार्यएवंइतिहासकारडॉ.जेएनसिन्हानेभारतमेंविज्ञान-इतिहासकेआइनेमेंविषयकराष्ट्रीयसेमिनारमेंकही।
लनामिविविकेस्नातकोत्तरइतिहासविभागएवंडॉ.प्रभातदासफाउंडेशनकेसंयुक्ततत्वावधानमेंआयोजितसेमिनारमेंडॉ.सिन्हानेबतायाकिमिथिलासाइंसकेज्ञानकासेंटररहाहै।न्यायकीवैज्ञानिकस्थापनाकालसेहीयहविश्वपटलपरउभरगयाथा।लेकिन,आधुनिकसमयमेंभारतकेविज्ञानकेसाथमिथिलाकेज्ञानकीउपेक्षाहुई।इसक्षेत्रमेंशोधकीजरूरतहै।
वैज्ञानिकआविष्कारोंसेभरेहैंवेद-पुराण:कुलपति
सेमिनारकाउद्घाटनकरतेहुएकुलपतिप्रो.सुरेंद्रकुमारसिंहनेकहाकिहमाराइतिहाससमृद्धशालीहै।वैज्ञानिकअविष्कारोंसेहमारेवेदपुराणभरेहुएहैं।प्राचीनभारतमेंशोध-अविष्कारहोतेथेऔरनालंदा,तक्षशिलाआदिजगहोंपरविश्वभरकेविद्यार्थीआकरज्ञानप्राप्तकरतेथे।परहमअपनीथातीकोभूलगएहैं।दूसरोंदेशोंकामुंहताकतेहैं।विद्यार्थियोंकोचाहिएकिवोसिर्फक्लासतकसीमितनारहें।बल्कि,इससेइतरजगहोंसेभीज्ञानअर्जितकरउसपरकार्यकरेंऔरप्राचीनगौरवकोपुनस्र्थापितकरें।
विज्ञानआधारितरहाहैभारतीयज्ञान:
कुलसचिवकर्नलनिशिथकुमाररायनेकहाकिविज्ञान-इतिहासमानवीयविकासकेलिएआवश्यकहै।भारतीयज्ञानविज्ञानआधारितरहाहै।प्रकृतिऔरमानवीयपहलुओंपरजितनेकार्यभारतमेंहुएहैं,उतनापूरेविश्वमेंकहींनहींहुआ।एमएलएसएमकॉलेजकेप्रधानाचार्यडॉ.विद्यानाथझानेकहाकिप्राचीनविज्ञानकेक्षेत्रमेंमिथिलाकाअहमस्थानरहाहै।यहक्षेत्रज्योतिषवखगोलकेक्षेत्रमेंश्रेष्ठरहाहै।सोशलसाइंसडीनडॉ.विनोदकुमारचौधरीनेकहाकिभारतयूंहीविश्वगुरूनहींकहलातारहाहै।मेडिकलसाइंसकीअधिकांशचिकित्सापद्धतिहमारेआयुर्वेदसेप्रेरितहै।मटेरियलसाइंसभारतकीदेन:
सेमिनारकीअध्यक्षताकरतेहुएपद्मश्रीडॉ.मानसबिहारीवर्मानेकहाकिभारतीयज्ञानपूरीतरहवैज्ञानिकरहाहै।पश्चिमीजगतनेइसेहाथो-हाथलिया।पर,इसकाश्रेयभारतकोनहींदिया।मटेरियलसाइंसविश्वकोभारतकीदेनहै।कार्यक्रमकासंचालनप्रो.अमिताभकुमार,स्वागतविभागाध्यक्षप्रो.प्रभाषचंद्रमिश्रवधन्यवादज्ञापनमुकेशकुमारझानेकिया।कार्यक्रममेंडॉ.अयोध्यानाथझा,डॉ.जयशंकरझा,डॉ.अरूणिमासिंहा,डॉ.प्रतिभागुप्ता,डॉ.पुनिताझा,डॉ.कुलानंदयादव,डॉ.जीवानंदझाआदिमौजूदथे।सेमिनारकीसमाप्तिपरअतिथियोंनेनरगौनापरिसरमेंपौधरोपणकरपर्यावरणसंरक्षणकासंदेशदिया।