चवल के पन से बल कैसे धये

निजी क्षेत्र की भागीदारी से रेलवे में पहले भी कई परियोजनाएं चलाई जा चुकी हैं और इनमें से ज्यादातर ने अच्छे परिणाम दिए हैं। पीपावाव पोर्ट रेल संपर्क योजना इसका सबसे पहला उदाहरण है। कंटेनर सेवाओं में भी इसे आजमाया जा चुका है। जबकि हबीबगंज, गांधीनगर समेत अनेक स्टेशनों को भी पीपीपी मॉडल पर ही विकसित कर आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है। हाल में सौ दिन के एजेंडे में सरकार ने रेलवे की छह उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण की दिशा में आगे बढ़ने की बात की है। लेकिन इसे परोक्ष निजीकरण बता कर्मचारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। सरकार इस गलतफहमी को दूर करना चाहती है।

बिना संसाधन कैसे काम करेंगी निगरानी समितियां

जागरणसंवाददाता,टिनिच,बस्ती:गांवोंमेंतेजगतिसेकोरोनासंक्रमणकीआशंकाओंकोरोकनेवसचजाननेकेलिएसरकारनेनिगरानीसमितियोंकागठनकरघर-घर

मां के बाद अब 17 दिन का बेटा कोरोना पॉजिटिव,

17दिनकेबच्चेकाइलाजकैसेहोयहस्वास्थ्यमहकमेकेलिएसबसेबड़ीचुनौतीहै,क्योंकिइसदौरानड्रिपभीलगानापड़ताहैऔरदवाइयांभीदेनीपड़तीहै।का